भिवाड़ी जलभराव: प्रशासन ने फैक्ट्रियों को गंदा पानी सीधे नाले में ना छोड़ने की टाइमलाइन दी

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भिवाड़ी के बायपास पर छह महीने बाद फिर से जलभराव हो गया है। ऐसा लगता है कि यहाँ की कहानी को पुराने सिनेमा की तरह दोहराया जा रहा है, जिसमें कुछ नाम और किरदार बदल गए हैं, लेकिन कहानी वही है। यहाँ फिर से वही सारी घटनाएँ दिखाई जा रही हैं जो पहले ही दिखाई गई थीं।

प्रशासन ने 15 मार्च तक फैक्ट्रियों को नाले में पानी छोड़ने पर रोक लगाने का आदेश दिया है। पिछले साल अगस्त में भी प्रशासन ने इसी तरह की कार्रवाई की थी, जब उन्होंने जलभराव के बाद सितंबर में फैक्ट्रियों की जांच कराकर उनके पानी के उत्पादन को रोका था। उस समय फैक्ट्रियों में खलबली मची थी, लेकिन कुछ समय के बाद जिम्मेदार अधिकारियों ने कठोरता की बजाय नरमी दिखाना शुरू कर दिया था। इसके बाद फिर से वही स्थिति वापस आ गई।

गत वर्ष सितंबर में प्रशासन की कड़ी कार्रवाई के बाद, कुछ फैक्ट्रियों ने अपनी गतिविधियों को गुप्त रूप से शुरू कर दिया था। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की ढील के कारण मामला फिर से बिगड़ गया।

बिना अनुमति भूमिगत पानी का उपयोग

फैक्ट्रियों में रीको की लाइन के अलावा भूमिगत बोरिंग से पानी का उपयोग किया जाता है। बोरिंग के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति लेनी चाहिए, लेकिन फैक्ट्री संचालक ऐसा नहीं करते हैं। वहीं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी इसे ध्यान में नहीं रखता। जिससे अंधाधुंध भूमिगत स्त्रोत का दोहन होता है। बोरिंग केवल अनुमति के बिना ही की जाती है।

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नगर परिषद ने पानी के निकासी के लिए पंपिंग सेट लगाया है, जिससे पानी को बगीचा सोसायटी के पीछे गड्डे में फेंका जा रहा है। इसी तरह छह महीने पहले भी प्रशासन ने इसी काम को किया था। प्रभावी अधिकारियों ने नगर परिषद को जलभराव को दूर करने में मदद की थी और अब भी वे समस्या को सुलझाने के लिए प्रयासरत हैं। इस प्रकार, बायपास पर छह महीने बाद भी हालात वैसे ही हैं।

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