सेकर नए उद्योग लाने के लिए विदेशों तक घूम रही है। मौजूद उद्योगों के लिए ही जरुरी संसाधन रीको क्षेत्रों में नहीं है। सबसे बड़े डस्ट्रियल हब भिवाड़ी में इतनी बिजली ही उपलब्ध नहीं की नए प्लांट संचालित हो सके। उद्योग रोजाना घंटो की बिजली कटौती का नुकसान झेल रहे है। चौपानकी रीको एरिया में दमकल तक उपलब्ध नहीं है। सड़कों की गुणवत्ता ये है कि बनते देर नहीं होती कि ये गिट्टियों में बिखर जाती है।
पांच कसौटियों एरिया की समस्या
ड्रेनेज और सफाई की तो बात तक नहीं होती। सड़को पर गिट्टियों की धूल उड़ती है, जो वायु गुणवत्ता को लेकर उद्योगों पर पाबंदी के रूप में थोप दी जाती है। ये सारे सुधार करने के लिए जिम्मेदार रीको सिर्फ नाली और सड़क में बजट ठिकाने लगाने की एजेंसी बना हुआ है। इंडस्ट्रियल हब भिवाड़ी के चौपानकी, कहरानी, सारे खुर्द, पथरेड़ी एरिया की पांच कसौटियों पर पड़ताल की तो यह सच सामने आया। वह कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री तक हर स्तर पर वे हालात बदलने की जरुरत बता चुके है, लेकिन कुछ नहीं बदला। नया निवेशक भी पैसा इसलिए नहीं लगाया। वह जमीन की हालात देखता है।
बिजली कसौटी की समस्या
इंडस्ट्रियल हब भिवाड़ी के चौपानकी, कहरानी, सारे खुर्द, पथरेड़ी सहित आसपास के औद्योगिक इलाके में करीब 800 से 900 औद्योगिक इकाइयां इस समय काम कर रही है। यहां बिजली कसौटी की गंभीर समस्या चल रही है। उद्योगपतियों का कहना है कि बिना सुचना के दिन में कई बार अघोषित कट लगते रहते है। जिसमे उद्योगों का उत्पादन प्रभावित होता है। इससे कई तरह से आर्थिक भार पड़ता है। इस समस्या को लेकर की बार उद्योगपति बिजली निगम के अधिकारियों से मिल चुके है, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल सका।
सड़क व सुरक्षा की समस्या
औद्योगिक इलाके में सड़कों की हालात भी बदतर है। बारिश के बाद कई जगह सड़को में काफी गहरे गड्डे हो चुके है। शायद ही ऐसी कोई सड़क हो, जहां गद्दे नहीं हो। औद्योगिक इलाके में सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर केवल एक पुलिस थाना है। इलाके में अक्सर चोरी की वारदात होती रहती है। उद्योग सुरक्षा का मुद्दा उठाते है तो उन्हें अपने स्तर पर सुरक्षा के इंतजाम करने की नसीहत दी जाती है। रात के समय इलाके में पुलिस की भी प्रभावी गश्त नहीं होती।
दमकल की समस्या
चौपानकी में थाने में समीप फायर स्टेशन का संचालन शुरू होना था, लेकिन यहां अब तक फायर स्टेशन शुरू नहीं हो सका है। इसके भवन काउपयोग भी पुलिस कर रही है। यदि किसी इलाके में आग की घटना भी होती है तो करीब 12-15 किलोमीटर दूर भिवाड़ी से दमकल आती है। जिसे ट्रैफिक और खराब रास्तों के कारण घटनास्थल तक पहुंचने में ही काफी टाइम लग जाता है। इस मामले को लेकर भी उद्योगपति कई बार रीको और प्रशासन के अधिकारियों को अवगत करा चुके है।
डंपिंग यार्ड की समस्या
चौपानकी और आसपास के क्षेत्र में डंपिंग यार्ड के लिए कोई जगह निर्धारित नहीं की गई है। रीको ने जो ट्रैक्टर लगा रखा है वो ही कचरा लेकर भिवाड़ी के डंपिंग यार्ड में जाता है। यदि कोई फेक्ट्री संचालन अपने स्तर पर कचरा सीधे डंपिंग यार्ड भेजता है तो उसका अलग चरज लगता है।
चौपानकी गांव के लोगों की समस्या
चौपानकी इंडस्ट्री एरिया को दो दशक बाद भी चौपानकी नहीं बदल पाया। जिसके कारण इसका गन्दा पानी खुले नालों के जरिए आसपास के गांवों और खाली भूखंडों में जमा होता है। इससे कई गावों का भूजल खराब हो रहा है और गावों में चर्म रोग के मरीज भी बढ़ रहे है। चौपानकी, पथरेड़ी सहित आसपास का इंडस्ट्री एरिया रीको की बदइंतजामी का शिकार है।
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सड़क, निर्बाध बिजली आपूर्ति, सुरक्षा तक के इंतजाम नहीं है। कचरा अगर भिवाड़ी डंपिंग यार्ड में भेजते है तो 1500 रूपये मांगते है। पुलिस गश्त प्रभावी नहीं होने से चोरी की वारदात आए दिन होती है।
भिवाड़ी इंडस्ट्री समस्या
सरकार एक तरफ नए उद्योग लाने के लिए वादा कर रही है, जबकि मौजूद इंडस्ट्री है। जो मौजूद संसाधनों के बीच संकट से गुजर रही है। इनके पास न निर्बाध बिजली आपूर्ति का सिस्टम है और न ही आधारभूत इंफ्रास्ट्रक्चर है। पुराने उद्योगों को आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने पर सरकार को गौर करना चाहिए।