भिवाड़ी में मारवाड़ी समाज ने मनाई तीज, जाने तीज क्यों और कैसे मनाई जाती है

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मारवाड़ी समाज की और से भिवाड़ी शहर के रविंद्र होटल में तीज महोत्सव का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम शुभांरभ मारवाड़ी समाज के अध्यक्ष अमित नाहटा जैन ने दीप जलाकर किया। समाज की महिलाओ ने इस कार्यक्रम में झूला झूलन, गीत संगीत, नाच-गाना कार्यक्रम की रंगारंग सांस्कृतिक और साथ ही बच्चो के लिए भी खेल प्रतियोगिता सहित कई कार्यक्रम रखे गए। हरियाली तीज महोत्सव पर समाज की महिलाओं ने राजस्थानी लहरिया और हरियाणवी वेशभूषा कार्यक्रम में भाग लिया और जितने वाले को उपहार भी दिए गए।

मारवाड़ी समाज के अध्यक्ष अमित नाहटा जैन ने बताया कि तीज महोत्सव पुरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। राजस्थान में इसका अलग ही महत्व है। हर साल मारवाड़ी समाज भिवाड़ी में तीज महोत्सव कार्यक्रम आयोजन करता है। समाज की सभी महिलाएं व पुरुष एकत्रित होकर इस त्यौहार को बड़े धूमधाम से मनाते है। समाज के सभी लोग एक साथ इकट्ठे होकर आपस में मिलते है और खुशिया बांटते है।

हरियाली तीज

हरियाली तीज को श्रावणी तीज भी कहा जाता है। इस दिन सुहागिन अपने पति की लंबी आयु के लिए करती है और कुंवारी कन्याएं भी अच्छा वर पाने के लिए तीज का व्रत करती है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते है। इस व्रत को करने से सुहागिनों को सदा सौभाग्यवती रहने का वरदान मिलता है. पति की लंबी आयु और परिवार की खुशहाली के लिए इस व्रत का महत्व माना गया है।

हरियाली तीज का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन और कुंवारी कन्याएं व्रत रखती है। सभी महिलाएं उस दिन हरे रंग के कपडे और चूड़ी पहनती है। सभी महिलाएं अपने सखियों के साथ मिलकर पेड़ पर झूला डालती है और उस पर झूलती है, हरियाली तीज के गीत और नृत्य भी करती है और खुशियाँ भी मनाती है।

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हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है

हरियाली तीज के दिन देवो के देव महादेव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। माता पार्वती ने 107 जन्मों तक तप किया था। भगवान शिव माता पार्वती के इस तप से प्रसन्न हुए और 108 जन्म में पार्वती से विवाह रचाया। तब से हरियाली तीज मनाई जाती है। हिन्दू धर्म के सभी व्रत में से हरियाली तीज के व्रत को महत्त्वपूर्ण है। सुहागिन स्त्री अपने पति के लम्बी आयु के लिए और परिवार में सुख-शांति के लिए करती है।

हरियाली तीज परम्पराएं

  • सावन के माह में आने वाले त्यौहारों में से विवाहित स्त्रियों के लिए ख़ास माना जाता है। हरियाली तीज केअवसर पर महिलाओं को ससुराल से मायके बुलाया जाता है। तीज के एक दिन पहले सिंजारा मनाने की परम्परा है। हरियाली तीज केअवसर पर लड़की के ससुराल नवविवाहित स्त्रियों को वस्त्र, आभूषण, शृंगार का समान, महेंदी और मिठाई आदि भेजी जाती है।

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  • इस तीज पर महेंदी लगाना शुभ माना जाता है। महिलाएं और युवतियां अपने हाथों में महेंदी लगते हैऔर साथ ही पेरो में आलता लगते है क्योंकि यह सुहागिन की सुहाग की निशानी होती है।
  • इस हरियाली तीज पर सुहागिन स्त्री सास के पैर छुकर आशीर्वाद लेती है और उन्हें सुहागिन का सामान देती है। अगर सास न हो तो वह किसी भी वृद्ध को दे सकती है।
  • तीज के दिन महिलाएं श्रृंगार और नए वस्त्र पहनकर श्रद्धा एवं भक्तिभाव से मां पार्वती की पूजा करती हैं।
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हरियाली तीज पूजन सामग्री

केले के पत्ते, बेल पत्र, धतूरा, अंकव पेड़ के पत्ते, तुलसी, शमी के पत्ते, काले रंग की गीली मिट्टी, जनेऊ, धागा और नए वस्त्र, माता पार्वती जी के श्रृंगार केलिए चूड़ियाँ, माहौल, सिंदूर, बिछुआ, मेहंदी, सुहाग पूड़ा, कुमकुम और कंघी. इसके अलावा पूजा में नारियल, कलश, अबीर, चंदन, तेल और घी, कपूर, दही, चीनी, शहद ,दूध और पंचामृत।

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